Friday, August 17, 2018

आज शब्द होकर भी निशब्द हूँ मैं- अटल जी

 आज शब्द होकर भी निशब्द हूँ मैं
जब से सुना है अटल जी के बारे में
स्तब्ध हूँ मैं
क्या कहुँ, क्या लिखुँ अपने आदर्श के बारे में
सदा उनके दिखाए मार्ग पर चलने का प्रण लेता हूँ मैं
भारत माता के इस महान पुत्र के बारे में क्या लिखुँ मैं?
आज शब्द होकर भी निशब्द हूँ मैं

जिसका प्रकृति स्वयं करे अभिनन्दन
सूर्य,वायु और वरुणदेव स्वयं करे वंदन
जिसके जाने से आसमान भी रोये
उस दिव्य पुरुष के बारे में क्या लिखुँ मैं?
आज शब्द होकर भी निशब्द हूँ मैं
जिसके जाने से हम बिलबिलाये
जिसके आने से देवता खिलखिलाये
देवलोक में हो जिसका भव्य स्वागत
उस दिव्य आत्मा के बारे में क्या लिखुँ मैं?
आज शब्द होकर भी निशब्द हूँ मैं
जिसकी कविताये सुनकर मन आत्मविश्वास से भर जाये
जिसके किस्से सुनकर ये तन प्रेरित हो जाए
जिसकी वाणी सुनकर विरोधी काँप जाये
उस युगपुरुष के बारे मैं क्या लिखुँ मैं?
आज शब्द होकर भी निशब्द हूँ मैं
                                                                                   विभोर अग्रवाल 'आधुनिक'

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